दिल्लीवालों की जिंदगी में अचानक आया तूफ़ान सिर्फ 48 घंटे में थम गया। सोमवार को लागू हुआ वो कड़ा फैसला, जिसने हज़ारों लोगों की रोज़ी-रोटी और दैनिक जीवन को प्रभावित किया, गुरुवार को ही वापस ले लिया गया। दिल्ली सरकार ने 15 साल से पुरानी पेट्रोल और 10 साल से पुरानी डीजल गाड़ियों को पेट्रोल पंप पर फ्यूल न देने के आदेश को रद्द कर दिया है। लेकिन यह U-टर्न क्यों लेना पड़ा? क्या वाकई सिर्फ जनता के गुस्से की वजह से या फिर कोई और बड़ी वजह रही? आइए जानते हैं पूरी कहानी...
क्या था पूरा मामला?
1 जुलाई से दिल्ली सरकार ने एक नया नियम लागू किया था जिसके तहत पेट्रोल पंप वाले 15 साल से ज्यादा पुरानी पेट्रोल गाड़ियों और 10 साल से ज्यादा पुरानी डीजल गाड़ियों को फ्यूल नहीं दे सकते थे। इसके पीछे सरकार का तर्क था कि पुरानी गाड़ियां प्रदूषण फैलाती हैं। लेकिन यह नियम सिर्फ 2 दिन ही चल पाया। इस दौरान करीब 80 गाड़ियों को जब्त किया गया था। लेकिन फिर अचानक सरकार ने यह फैसला वापस ले लिया। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने खुद कहा कि यह नियम अभी "होल्ड" पर है।
क्यों वापस लेना पड़ा फैसला?
इस फैसले को वापस लेने के तीन बड़े कारण सामने आए हैं। पहला - पेट्रोल पंप पर लगे ANPR कैमरे ठीक से काम नहीं कर रहे थे। ये कैमरे गाड़ियों के नंबर प्लेट को पढ़ने में नाकाम रहे। दूसरा - दिल्ली के बाहर नोएडा, गुड़गांव जैसी जगहों पर यह नियम लागू नहीं था, इसलिए लोग वहां जाकर पेट्रोल भरवा रहे थे। तीसरा और सबसे बड़ा कारण - आम लोगों का गुस्सा। सोशल मीडिया पर एक के बाद एक वीडियो वायरल होने लगे जहां लोग अपनी अच्छी हालत वाली गाड़ियों को दिखा रहे थे जिन्हें सिर्फ उम्र की वजह से रिजेक्ट किया जा रहा था। एक व्यक्ति ने अपनी 16 साल पुरानी मर्सिडीज दिखाई जिसका PUC सर्टिफिकेट पूरी तरह सही था।
लोगों और राजनेताओं की क्या राय?
इस फैसले पर सभी पार्टियों ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए। AAP ने कहा कि यह बैन ठीक से लागू नहीं किया गया। BJP ने AAP पर दोष मढ़ा कि यह नियम उन्होंने ही बनाया था। TMC ने इसे "अनोखा और अजीब" फैसला बताया। आम लोगों की बात करें तो एक कुल्चे-चोले वाले ने बताया कि उसकी 18 साल पुरानी बाइक ही उसकी रोजी-रोटी का सहारा है। वहीं एक बिजनेसमैन ने अपनी 8 साल पुरानी रेंज रोवर बेचने की मजबूरी बताई क्योंकि उसे दिल्ली में डीजल नहीं मिल रहा था। सरकार अब नया प्लान बना रही है जिसमें सिर्फ प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ियों पर ही कार्रवाई होगी, न कि सभी पुरानी गाड़ियों पर।
यह कहानी सिखाती है कि किसी भी बड़े फैसले को लागू करने से पहले उसके हर पहलू पर गौर करना ज़रूरी होता है। दिल्ली सरकार ने प्रदूषण कम करने का सही इरादा रखा, लेकिन ज़मीनी हकीकत को नज़रअंदाज़ कर दिया। अब नया प्लान बन रहा है जो प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ियों को टारगेट करेगा, न कि सिर्फ उम्र देखकर फैसला लेगा। साथ ही, NCR के सभी शहरों में एक साथ यह नियम लागू होगा ताकि लोग दूसरे शहरों का रुख न करें। क्या यह नया प्लान कामयाब होगा? यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन अभी दिल्लीवालों को राहत ज़रूर मिल गई है।
