मुंबई की राजनीति में एक बड़ा भूचाल आया है जब 20 साल से अलग चल रहे ठाकरे भाइयों - उद्धव और राज - एक मंच पर आए। लेकिन इस ऐतिहासिक मिलन पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ऐसा तीखा जवाब दिया कि सब हैरान रह गए। राज ठाकरे ने मजाक में कहा था, "हमें जोड़ने का काम फडणवीस ने किया!" इस पर सीएम ने चुटकी लेते हुए कहा, "शायद बालासाहेब का आशीर्वाद है।" लेकिन असली बवाल तब हुआ जब उन्होंने उद्धव के भाषण को 'रुदाली स्पीच' बताया। यानी सिर्फ रोने-धोने वाला भाषण!
"हमें जोड़ा फडणवीस ने": राज का मजाक, सीएम का जवाब
वर्ली की रैली में राज ठाकरे के पहले ही वाक्य ने सबको चौंका दिया। उन्होंने कहा, "जो काम बालासाहेब नहीं कर पाए, वो फडणवीस ने कर दिखाया - हमें जोड़ दिया!" यह सुनकर पूरा मैदान सन्नाटे में आ गया। अगले दिन फडणवीस ने इस पर जवाब दिया: "मैं राज का शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मुझे यह क्रेडिट दिया। शायद बालासाहेब आशीर्वाद दे रहे हैं।" यह कहते हुए उनके चेहरे पर मुस्कान थी, लेकिन आंखों में चमक थी राजनीतिक लड़ाई की। असल में वो बता रहे थे कि यह जुड़ाव नाटक है, असली नहीं।
क्यों कहा उद्धव के भाषण को 'रुदाली स्पीच'?
रैली का नाम था 'मराठी विजय महोत्सव', लेकिन फडणवीस को उद्धव के भाषण में सिर्फ शिकायतें दिखीं। गुस्से में उन्होंने कहा, "यह 'विजय रैली' नहीं, 'रुदाली स्पीच' थी!" रुदाली यानी वो औरतें जो राजस्थान में रोने का काम करती हैं। फडणवीस ने कहा, "उद्धव ने मराठी के बारे में एक शब्द नहीं बोला। बस यही रोते रहे कि उनकी सरकार कैसे गिरी।" उन्होंने याद दिलाया कि शिवसेना ने 25 साल BMC पर राज किया, लेकिन मुंबई को क्या दिया?
क्या अब ठाकरे भाई मिलकर BJP से लड़ेंगे?
इस रैली के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या अब ठाकरे भाई मिलकर बीजेपी के खिलाफ लड़ेंगे? उद्धव ने रैली में कहा, "हम साथ आए हैं, साथ रहेंगे।" राज ने कहा, "सत्ता आपके पास है, सड़क हमारी है।" फडणवीस ने इसे BMC चुनाव की तैयारी बताया। उन्होंने कहा, "हमने मराठी लोगों के लिए घर बनाए, शिवसेना ने क्या किया?" साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा, "हम मराठी हैं और हिंदुत्व में यकीन रखते हैं।"
महाराष्ट्र की राजनीति में यह नया मोड़ है। एक तरफ ठाकरे भाइयों का मिलन, दूसरी तरफ फडणवीस का तीखा जवाब। 'रुदाली' शब्द का इस्तेमाल विवादित जरूर है, लेकिन इससे साफ है कि BMC चुनाव की लड़ाई कितनी गर्म होगी। मराठी अस्मिता की यह लड़ाई अब सिर्फ भाषा तक नहीं रही, बल्कि सत्ता की जंग बन चुकी है। अब देखना है कि यह नया गठजोड़ महाराष्ट्र को किस राह पर ले जाएगा। एक बात तो तय है - राजनीति का यह सीजन बेहद दिलचस्प होने वाला है!
