पहलगाम के खूबसूरत बैसरान घाटी में 22 अप्रैल को हुए खूनी आतंकी हमले के दो महीने बाद, NIA ने बड़ा खुलासा किया है। दो स्थानीय लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिन पर आरोप है कि उन्होंने पाकिस्तानी आतंकी संगठन Lashkar-e-Taiba (LeT) के तीन आतंकियों को खाना, घर और मदद दी थी। ये आतंकियों ने 26 निर्दोष पर्यटकों को मौत के घाट उतार दिया था, जिनमें एक स्थानीी घुड़सवार भी शामिल था। NIA के मुताबिक, ये हमला धार्मिक आधार पर किया गया था, और पाकिस्तानी आतंकियों को यहां के कुछ लोगों ने ही शरण दी थी।
कौन हैं गिरफ्तार हुए दो लोग? NIA ने क्या खुलासा किया?
NIA ने पहलगाम के बटकोट इलाके के परवेज अहमद जोथर और हिल पार्क के बशीर अहमद जोथर को गिरफ्तार किया है। ये दोनों एक मौसमी झोपड़ी (धोक) में रहते थे, जहां उन्होंने तीन आतंकियों को छुपाया था। NIA के अनुसार, इन दोनों को पता था कि ये आतंकी हैं, फिर भी उन्होंने खाना, रहने की जगह और मदद दी। जब NIA ने इनसे पूछताछ की, तो उन्होंने बताया कि ये तीनों पाकिस्तानी LeT के सदस्य हैं – हाशिम मूसा (उर्फ सुलेमान), अली भाई (उर्फ ताल्हा भाई) और एक स्थानीय सहयोगी आदिल हुसैन ठोकर। इन तीनों पर 20 लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया है।
22 अप्रैल को क्या हुआ था? कैसे हुआ हमला?
22 अप्रैल की सुबह, पहलगाम के बैसरान घाटी (जिसे "मिनी स्विट्जरलैंड" कहा जाता है) में पर्यटक घूम रहे थे। अचानक तीन आतंकियों ने गोलियां चलानी शुरू कर दीं। उन्होंने धार्मिक आधार पर लोगों को चुन-चुन कर मारा। कुल 26 लोग मारे गए, जिनमें एक स्थानीी घोड़े वाला (पोनी वाला) भी था, और 16 लोग घायल हुए। NIA ने बताया कि ये हमला पाकिस्तान में बैठे आतंकी मास्टरमाइंड्स ने प्लान किया था, और ये कनेक्शन 2008 के मुंबई हमलों जैसा ही था। भारत ने इसके जवाब में 7 मई को "ऑपरेशन सिंदूर" चलाया, जिसमें पाकिस्तान/PoK में आतंकी कैंप्स को निशाना बनाया गया।
NIA की जांच क्या कहती है? क्या और गिरफ्तारी हो सकती है?
NIA ने इस मामले को RC-02/2025/NIA/JMU के तहत दर्ज किया है। पिछले दो महीनों में, एजेंसी ने सैकड़ों गवाहों से पूछताछ की, पर्यटकों की तस्वीरें और वीडियोज चेक किए। गिरफ्तार दोनों आरोपियों पर UAPA की धारा 19 (आतंकियों को शरण देना) के तहत केस चलाया जाएगा। NIA का कहना है कि ये कश्मीर के सबसे भयानक हमलों में से एक है, और पाकिस्तानी आतंकियों का ये नेटवर्क अभी भी सक्रिय हो सकता है। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये आतंकी या तो पाकिस्तान भाग गए हैं या फिर ट्राल में छुपे हुए हैं, क्योंकि उनका कोई इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन नहीं मिला है।
पहलगाम का ये हमला सिर्फ एक आतंकी घटना नहीं, बल्कि एक सुनियोजित साजिश थी, जिसमें पाकिस्तानी आतंकियों को स्थानीय लोगों की मदद मिली। NIA की जांच अभी जारी है, और हो सकता है कि और नाम सामने आएं। पर्यटकों के लिए पहलगाम अब भी सुरक्षित है, लेकिन सरकार ने सुरक्षा बढ़ा दी है। इस हमले ने एक बार फिर साबित किया है कि पाकिस्तानी आतंकी ग्रुप्स अभी भी भारत में हिंसा फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन भारतीय एजेंसियां उनके खिलाफ मजबूती से कार्रवाई कर रही हैं।
