महाराष्ट्र के पुणे जिले में इंद्रायनी नदी पर बना 30 साल पुराना लोहे का पुल अचानक गिर गया, जिसमें अब तक 4 लोगों की मौत हो चुकी है और 38 को बचा लिया गया है। सोमवार दोपहर करीब 3:30 बजे हुए इस हादसे के वक्त पुल पर 100 से ज्यादा लोग मौजूद थे, जिनमें ज्यादातर मानसून का नज़ारा लेने आए पर्यटक थे। NDRF की टीमें अभी भी 10-25 लापता लोगों की तलाश में जुटी हुई हैं।
5 मिनट का कंपन, फिर अचानक धंसा पुल
ग्रामीणों के मुताबिक हादसे से ठीक पहले पुल करीब 5 मिनट तक हिलता रहा, जिसके बाद अचानक भयानक आवाज़ के साथ पुल का एक हिस्सा ढह गया। स्थानीय मछुआरों ने सबसे पहले रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया और अपनी नावों से 5-6 लोगों को तुरंत निकाला, जबकि NDRF की टीमें बाद में पहुँचकर स्कूबा डाइवर्स की मदद से पानी के अंदर तलाशी अभियान चला रही हैं।
क्यों गिरा पुल? 4 बड़े कारण सामने आए
प्रारंभिक जाँच में पता चला है कि 30 साल पुरानी संरचना, जंग लगे हिस्से, अनुमति से ज्यादा भीड़ और पुल पर पार्क की गई बाइक्स के वजन ने मिलकर इस हादसे को अंजाम दिया। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार ने बताया कि यह पुल मुख्य रूप से किसानों के लिए बना था लेकिन टूरिस्ट्स के आने से अधिक भार झेलना पड़ा।
PM मोदी से लेकर CM फडणवीस तक - सबने जताई संवेदना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से फोन पर बात कर हादसे पर संवेदना जताई, जबकि महाराष्ट्र सरकार ने मृतकों के परिवार को 5 लाख रुपये और गंभीर रूप से घायलों को 1 लाख रुपये देने की घोषणा की है। स्थानीय अस्पतालों में 32 घायलों का इलाज चल रहा है, जिनमें से 6 की हालत गंभीर बताई जा रही है।
यह हादसा एक बार फिर भारत के पुराने हो चुके इंफ्रास्ट्रक्चर की कमजोरियों को उजागर करता है, जिसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के सभी पुराने पुलों की जाँच का आदेश दिया है और 8 करोड़ रुपये की लागत से नए पुल के निर्माण को मंजूरी दी है, लेकिन सवाल यही है कि क्या ये कदम उन लोगों की जिंदगी वापस ला सकते हैं जो आज हमेशा के लिए चले गए?
