आज पूरे भारत के IT सेक्टर में एक बड़ी खबर ने तहलका मचा दिया है। देश की सबसे बड़ी IT कंपनी TCS (टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज) ने 12,261 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का फैसला किया है। यह संख्या कंपनी के कुल कर्मचारियों का करीब 2% है। ये लेटेस्ट कटौती बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई, पुणे और कोलकाता समेत दुनिया भर के TCS ऑफिसों में हो रही है। सबसे ज्यादा असर 3-10 साल के अनुभव वाले मिड-लेवल कर्मचारियों पर पड़ेगा। कंपनी का कहना है कि यह फैसला AI और नई टेक्नोलॉजी के चलते कौशल (skills) में बदलाव की वजह से लिया गया है।
क्यों कर रही है TCS इतने बड़े पैमाने पर छंटनी?
TCS के CEO के. कृथिवासन ने बताया कि यह फैसला कंपनी के "स्ट्रक्चरल रीसेट" का हिस्सा है। असल में, पिछले कुछ सालों में AI और ऑटोमेशन ने IT इंडस्ट्री को पूरी तरह बदल दिया है। क्लाइंट्स अब ज्यादा लोगों की जगह स्मार्ट टेक्नोलॉजी चाहते हैं। कंपनी के मुताबिक, जिन कर्मचारियों ने नई स्किल्स नहीं सीखीं, उन्हें प्रोजेक्ट्स पर लगाना मुश्किल हो रहा था। एक बड़ी समस्या "बेंच" पर बैठे कर्मचारियों की है - यानी वो लोग जिन्हें कोई प्रोजेक्ट नहीं मिल रहा। अब नया नियम बनाया गया है कि अगर कोई कर्मचारी 35 दिनों तक बेंच पर रहता है तो उसे नौकरी से निकाल दिया जाएगा। पहले यह समय 3 से 18 महीने तक होता था।
कर्मचारियों पर क्या पड़ेगा असर? क्या मिलेगा सेवरेंस पैकेज?
जिन कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जा रहा है, उन्हें कंपनी की तरफ से कुछ सहायता दी जाएगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रभावित कर्मचारियों को नोटिस पीरियड का वेतन, एक्सटेंडेड हेल्थ इंश्योरेंस और कुछ मामलों में आउटप्लेसमेंट सपोर्ट मिलेगा। लेकिन कई कर्मचारियों ने शिकायत की है कि उन्हें अचानक HR मीटिंग में बुलाकर डिस्चार्ज लेटर थमा दिया गया। IT एम्प्लॉई सेनेट (NITES) ने इस पर लेबर मिनिस्ट्री को शिकायत भी की है। उनका कहना है कि बिना उचित नोटिस के नौकरियां काटना गैरकानूनी है। वहीं, जो कर्मचारी बच गए हैं, उनके लिए भी हालात आसान नहीं हैं - सालाना वेतन वृद्धि (salary hike) पर रोक लगा दी गई है और नए लोगों की भर्ती भी फिलहाल रोक दी गई है।
पूरे IT सेक्टर पर क्या पड़ेगा असर? क्या अन्य कंपनियां भी करेंगी ऐसा?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि TCS का यह कदम पूरे IT सेक्टर के लिए एक बड़ा संदेश है। HCL टेक्नोलॉजीज जैसी कंपनियां भी अब "टैलेंट रैंप-डाउन" की तैयारी कर रही हैं। मार्केट एनालिस्ट्स का कहना है कि AI और ऑटोमेशन के चलते अगले 2-3 सालों में IT कंपनियां छोटी और ज्यादा स्किल्ड टीम्स पर फोकस करेंगी। इसका मतलब यह हुआ कि जिन कर्मचारियों ने अपनी स्किल्स अपडेट नहीं की, उनके लिए मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। वहीं, इंजीनियरिंग कॉलेजों से निकलने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी मार्केट पहले जैसा नहीं रहेगा - कुछ को तो बड़े पैकेज मिलेंगे, लेकिन ज्यादातर के लिए नौकरी पाना मुश्किल होगा।
TCS की यह नौकरी कटौती सिर्फ एक कंपनी का मामला नहीं है, बल्कि यह पूरे IT सेक्टर में आ रहे एक बड़े बदलाव का संकेत है। जिस तरह कभी मैन्युफैक्चरिंग में ऑटोमेशन आया था, वैसे ही अब सर्विस सेक्टर में AI और रोबोटिक्स क्रांति आ रही है। इस नई दुनिया में वही कर्मचारी सुरक्षित रहेंगे जो लगातार नई स्किल्स सीखते रहेंगे। सरकार और कंपनियों को मिलकर एक ऐसी व्यवस्था बनानी होगी जहां पुराने कर्मचारियों को री-स्किल करने का मौका मिले। नहीं तो आने वाले समय में IT सेक्टर में और भी बड़े पैमाने पर नौकरियां जा सकती हैं।
