पाकिस्तान के तेल भंडार पर अमेरिका की बड़ी चाल! अमेरिका के साथ हुई एक बड़ी डील

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By - jordarkhabar.in
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क्या पाकिस्तान अब तेल के मामले में आत्मनिर्भर बन सकता है? जुलाई 2025 में अमेरिका के साथ हुई एक बड़ी डील ने इस सवाल को और ज़ोरदार बना दिया है। पाकिस्तान के पास अभी 540 मिलियन बैरल तेल का भंडार है, जो पिछले साल के मुकाबले 23% ज़्यादा है। लेकिन असली खजाना अब भी समंदर के नीचे छुपा हुआ है, जिसे निकालने के लिए अमेरिकी कंपनियां आगे आई हैं। ये डील सिर्फ तेल नहीं, बल्कि पूरे रीजन की राजनीति को बदल सकती है।


पाकिस्तान के तेल भंडार और अमेरिकी डील
पाकिस्तान के तेल भंडार पर अमेरिका की बड़ी डील

क्या है पाकिस्तान के तेल भंडार का हाल?

पाकिस्तान में तेल के नए भंडार मिलने की खबरें लगातार आ रही हैं। सिंध प्रांत के फाकीर-1 कुएं से रोज़ाना 55 बैरल कंडेंसेट और 6.4 मिलियन क्यूबिक फीट गैस निकल रही है। लक्की मरवत और अटक में भी नए भंडार मिले हैं। लेकिन असली बड़ा खेल अब समंदर के नीचे शुरू होने वाला है। मकरान और इंडस बेसिन के नीचे 235 ट्रिलियन क्यूबिक फीट गैस का भंडार होने का अनुमान है, जिसे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा भंडार माना जा रहा है। इसे निकालने के लिए 25-30 बिलियन डॉलर के निवेश की ज़रूरत होगी।


अमेरिका क्यों कर रहा है इतना बड़ा दांव?

जुलाई 2025 में अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ एक बड़ा समझौता किया है। इसके तहत एक अमेरिकी तेल कंपनी पाकिस्तान के तेल भंडार को विकसित करेगी। ये डील सिर्फ तेल नहीं, बल्कि राजनीति से भी जुड़ी हुई है। अमेरिका पाकिस्तान को "मेजर नॉन-नेटो अलाय" मानता है और चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करना चाहता है। दिलचस्प बात ये है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि पाकिस्तान शायद भविष्य में भारत को भी तेल बेचे। ये बात उस समय कही गई जब अमेरिका और भारत के बीच रूसी तेल को लेकर तनाव चल रहा था।


क्या हैं चुनौतियां और आगे की राह?

पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ी चुनौती सुरक्षा और निवेश की है। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी जैसे गुट चीनी कर्मचारियों पर हमले कर चुके हैं। समंदर के नीचे के भंडार को निकालने के लिए 5 बिलियन डॉलर की ज़रूरत होगी और इसमें 4-5 साल लग सकते हैं। फिलहाल पाकिस्तान अपनी ज़रूरत का 80% तेल आयात करता है। तुर्की की कंपनी TPAO के साथ 40 ऑफशोर ब्लॉक्स के लिए हाथ मिलाया गया है। अगर ये सभी योजनाएं सफल होती हैं, तो पाकिस्तान न सिर्फ तेल के मामले में आत्मनिर्भर बन सकता है, बल्कि पूरे रीजन की अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव ला सकता है।


पाकिस्तान के तेल भंडार की कहानी अभी लिखी जा रही है। एक तरफ जहां नए भंडारों की खोज और अमेरिका जैसे बड़े साझेदार उम्मीद जगाते हैं, वहीं सुरक्षा चुनौतियां और भारी निवेश की ज़रूरत मुश्किलें खड़ी करती हैं। अगले 5 साल ये तय करेंगे कि क्या पाकिस्तान वाकई में तेल के मामले में आत्मनिर्भर बन पाएगा या फिर ये सपना अधूरा रह जाएगा। इस बीच, पूरी दुनिया की नज़रें इस रीजन पर टिकी हुई हैं, क्योंकि यहां होने वाले बदलाव सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया की तस्वीर बदल सकते हैं।

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