आज एक ऐसी खबर आई है जिसने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। इजरायल के साथ बढ़ते तनाव के बीच ईरान ने परमाणु अप्रसार संधि (NPT) से बाहर निकलने का फैसला किया है। यह कदम ऐसे समय में आया है जब पिछले 72 घंटों में इजरायल ने ईरान के परमाणु स्थलों पर भारी हमले किए हैं। इन हमलों में ईरान के 230 से ज्यादा लोग मारे गए हैं, जिनमें कई परमाणु वैज्ञानिक भी शामिल हैं। अब सवाल यह है कि क्या ईरान वाकई में परमाणु हथियार बनाने की तरफ बढ़ेगा? और अगर ऐसा हुआ तो मध्य पूर्व में क्या होगा? भारत जैसे देशों पर इसका क्या असर पड़ेगा? ये सभी सवाल आज हर किसी के मन में घूम रहे हैं।
क्यों लिया ईरान ने यह बड़ा फैसला?
ईरान ने यह फैसला इजरायल के ताजा हमलों के जवाब में लिया है। बीते सोमवार को इजरायल ने ईरान के नतांज परमाणु संयंत्र पर हवाई हमला किया था। इस हमले में ईरान के कई परमाणु वैज्ञानिक और IRGC के कमांडर मारे गए थे। ईरान का कहना है कि इजरायल लगातार उसके परमाणु प्रोग्राम को निशाना बना रहा है। NPT से बाहर निकलने का मतलब है कि अब अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसी (IAEA) ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर नजर नहीं रख पाएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान के पास पहले से ही 60% तक समृद्ध यूरेनियम है। इसे वह कुछ हफ्तों में हथियार बनाने लायक 90% तक पहुंचा सकता है। ईरान हमेशा से कहता आया है कि उसका परमाणु प्रोग्राम शांतिपूर्ण है, लेकिन अब स्थिति बदल सकती है।
इजरायल-ईरान संघर्ष की पूरी कहानी
इजरायल और ईरान के बीच तनाव कोई नई बात नहीं है। लेकिन पिछले हफ्ते स्थिति ने खतरनाक मोड़ ले लिया। 13 जून को इजरायल ने ईरान के अहम सैन्य और परमाणु ठिकानों पर हमला किया। इसके जवाब में ईरान ने इजरायल के डिमोना परमाणु संयंत्र और हाइफा बंदरगाह पर 200 से ज्यादा मिसाइलें दाग दीं। इजरायल में 16 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। यह पहली बार है जब दोनों देशों ने सीधे एक-दूसरे पर इतने बड़े पैमाने पर हमला किया है। इजरायल के प्रधानमंत्री ने कहा है कि यह सिर्फ शुरुआत है। वहीं ईरान ने चेतावनी दी है कि अगर इजरायल ने हमले जारी रखे तो वह और भी भारी जवाबी कार्रवाई करेगा। दोनों देशों के बीच यह जंग अब पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बन गई है।
दुनिया की प्रतिक्रिया और भारत पर असर
ईरान के NPT से बाहर निकलने की खबर पर पूरी दुनिया में प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। अमेरिका ने ईरान को चेतावनी दी है। UN और यूरोपीय देशों ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। भारत ने भी शांति की अपील की है। इस संघर्ष का सीधा असर भारत पर पड़ सकता है। ईरान में 1500 से ज्यादा भारतीय छात्र फंसे हुए हैं। तेल की कीमतें पहले ही 9% बढ़ चुकी हैं। हाइफा बंदरगाह, जिसे अडानी ग्रुप चलाता है, पर हमले से भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) को भी झटका लगा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह जंग और बढ़ी तो पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी। भारत को अपने नागरिकों की सुरक्षा और ऊर्जा आपूर्ति को लेकर चिंता बढ़ गई है।
ईरान का NPT छोड़ना सिर्फ एक संधि से बाहर निकलने तक सीमित मामला नहीं है। यह एक ऐसा कदम है जो पूरी दुनिया की सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है। अगर ईरान ने वाकई में परमाणु हथियार बना लिए तो मध्य पूर्व में हथियारों की दौड़ शुरू हो जाएगी। UN और बड़ी शक्तियों को तुरंत हस्तक्षेप करके इस संकट को रोकना होगा। फिलहाल तो दुनिया की नजरें तेल अवीव और तेहरान पर टिकी हैं। अगला हमला कब और कहां होगा, यह कोई नहीं जानता। भारत समेत पूरी दुनिया को इस संकट से निपटने के लिए तैयार रहना होगा।
