ईरान-इजरायल जंग: तेहरान और तेल अवीव में धमाकों से दहशत, 80+ मरे

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By - jordarkhabar.in
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तेहरान की एक 14 मंजिला इमारत में अचानक धमाका हुआ, और पल भर में 60 लोगों की जिंदगी खत्म हो गई। इनमें 20 बच्चे भी थे, जो अपने घरों में सो रहे थे। यह कोई एक्सीडेंट नहीं, बल्कि इजरायल की वायु सेना का हमला था। इसी दिन, ईरान ने जवाब में इजरायल पर 100 से ज्यादा मिसाइलें दाग दीं, जिससे तेल अवीव और यरुशलम में आग लग गई। यह ईरान और इजरायल के बीच सीधी जंग का पहला दिन था, जिसमें अब तक 80 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं।

ईरान इजरायल जंग
ईरान इजरायल जंग

क्या हुआ था 14 जून की सुबह?

सुबह 3:15 बजे, ईरान के नतंज़ शहर में एक भयानक धमाका हुआ। यह इजरायल का पहला हमला था, जिसमें ईरान का सबसे बड़ा परमाणु संवर्धन केंद्र पूरी तरह तबाह हो गया। स्थानीय लोगों ने बताया कि धमाके से जमीन 10 सेकंड तक हिलती रही। इसके बाद, इजरायल ने तेहरान के मेहराबाद एयरपोर्ट पर भी हमला किया, जहाँ ईरान के F-14 फाइटर जेट्स रखे थे। ईरानी सरकार ने कहा कि इस हमले में उनके 9 परमाणु वैज्ञानिक भी मारे गए, जो देश के सबसे बड़े दिमाग थे।


ईरान ने इसका जवाब दोपहर 1:30 बजे दिया। उन्होंने इजरायल के तेल अवीव, यरुशलम और दीमोना शहरों पर बैलिस्टिक मिसाइलें दाग दीं। इजरायल की आयरन डोम डिफेंस सिस्टम ने ज्यादातर मिसाइलों को रोक लिया, लेकिन 3 मिसाइलें आवासीय इलाकों में गिरीं, जिससे 3 लोगों की मौत हो गई।


क्यों भड़की यह जंग?

इस जंग की शुरुआत 13 जून को हुई, जब इजरायल ने ईरान के कई सैन्य ठिकानों पर चुपके से हमला किया। इस हमले में ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के कमांडर मारे गए थे। ईरान ने इसे "युद्ध की घोषणा" बताया और 24 घंटे के अंदर जवाब देने की धमकी दी थी। 14 जून को उन्होंने अपना वादा पूरा किया।


विशेषज्ञों का कहना है कि यह संघर्ष असल में ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर है। इजरायल चाहता है कि ईरान कभी भी परमाणु बम न बना पाए, जबकि ईरान कहता है कि उसका कार्यक्रम सिर्फ शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है।


दुनिया की क्या प्रतिक्रिया है?

अमेरिका ने इजरायल को अपना समर्थन दिया है, लेकिन साथ ही दोनों देशों से शांति बनाए रखने की अपील की है। भारत ने चिंता जताई है और मध्यस्थता की पेशकश की है। संयुक्त राष्ट्र ने आपातकालीन बैठक बुलाई है।

इस जंग का असर दुनिया भर में देखने को मिल रहा है। तेल की कीमतें 8% बढ़ चुकी हैं, और कई देशों ने अपने नागरिकों को इन देशों से निकालना शुरू कर दिया है।


14 जून 2025 का दिन मध्य पूर्व के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज हो गया है। दोनों देशों के नागरिक डर और अनिश्चितता में जी रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह जंग जारी रही, तो पूरे क्षेत्र में एक बड़ा युद्ध छिड़ सकता है। फिलहाल, दुनिया की नजरें संयुक्त राष्ट्र और अन्य शक्तिशाली देशों पर टिकी हैं, कि क्या वे इस संकट को शांति से सुलझा पाएंगे।


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