आज चार राज्यों में हुए विधानसभा उपचुनावों के नतीजों ने राजनीतिक समीकरणों को हिलाकर रख दिया है। गुजरात में AAP ने BJP के गढ़ विसावदर को तोड़ा तो कांग्रेस ने केरल की निलांबर सीट पर जीत दर्ज की। पंजाब में AAP ने लुधियाना वेस्ट सीट बरकरार रखी जबकि पश्चिम बंगाल में TMC ने कालीगंज में आसान जीत हासिल की। गुजरात की दूसरी सीट कड़ी पर BJP ने कब्जा जमाया। ये चुनाव 2024 लोकसभा चुनाव के बाद पहले बड़े उपचुनाव थे जिन्हें सभी पार्टियों ने प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया था।
गुजरात: AAP ने तोड़ा BJP का 18 साल पुराना किला
गुजरात के विसावदर में AAP ने बड़ा उलटफेर करते हुए BJP को हरा दिया। गोपाल इटालिया ने 17,554 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। ये सीट 2007 से BJP के पास थी। दिलचस्प बात ये है कि पिछले विधायक भूपेंद्र भायानी BJP में शामिल हो गए थे, लेकिन AAP ने उनके खिलाफ नया चेहरा उतारकर जीत हासिल की। वहीं कड़ी (SC) सीट पर BJP के राजेंद्र चावड़ा ने 39,452 वोटों से जीतकर पार्टी के लिए राहत की सांस ली। ये सीट पूर्व विधायक करशन सोलंकी की मौत के बाद खाली हुई थी।
पंजाब और केरल: AAP और कांग्रेस की जीत
पंजाब के लुधियाना वेस्ट में AAP के संजीव अरोड़ा ने 10,637 वोटों से कांग्रेस को हराया। ये सीट पूर्व AAP विधायक गुरप्रीत गोगी की मौत के बाद खाली हुई थी। केरल की निलांबर सीट पर कांग्रेस-UDF के उम्मीदवार आर्यदान शौकत ने 11,077 वोटों से जीतकर LDF को झटका दिया। ये सीट पहले TMC में शामिल हो चुके PV अनवर के इस्तीफे के बाद खाली हुई थी। निलांबर प्रियंका गांधी की लोकसभा सीट वायनाड का हिस्सा है, जिससे इस जीत का महत्व और बढ़ जाता है।
बंगाल में TMC का दबदबा, राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
पश्चिम बंगाल के कालीगंज में TMC की अलीफा अहमद ने 40,438 वोटों से जीत दर्ज की। ये सीट उनके पिता और पूर्व TMC विधायक नसीरुद्दीन अहमद की मौत के बाद खाली हुई थी। AAP ने अपनी गुजरात जीत को "जनता का फैसला" बताया तो BJP ने कहा कि वो विसावदर में हार का विश्लेषण करेगी। कांग्रेस ने केरल जीत को Pinarayi सरकार के खिलाफ मतदाताओं का संदेश बताया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ये नतीजे 2026-27 के विधानसभा चुनावों का इशारा देते हैं।
इन उपचुनावों के नतीजे बताते हैं कि भारतीय राजनीति में कोई भी पार्टी किसी भी सीट को अपनी जागीर नहीं मान सकती। गुजरात में AAP की जीत ने साबित कर दिया कि BJP के गढ़ भी अब सुरक्षित नहीं हैं। वहीं कांग्रेस के लिए केरल में जीत राहत भरी है। इन चुनावों ने ये भी दिखाया कि मतदाता अब पार्टी बदलने वाले नेताओं को आसानी से माफ नहीं करते। आने वाले समय में ये नतीजे राज्यों की राजनीति को नई दिशा दे सकते हैं।
