सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह को कर्नल सोफिया कुरैशी पर 'आतंकवादियों की बहन' कहने पर कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को जिम्मेदारी से बोलना चाहिए, खासकर जब देश संवेदनशील स्थिति से गुजर रहा हो।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ ने विजय शाह की टिप्पणियों को 'गैर-जिम्मेदाराना' बताया और कहा कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को संयम बरतना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि जब देश ऑपरेशन सिंदूर जैसी संवेदनशील स्थिति से गुजर रहा हो, तब ऐसे बयान और भी गंभीर हो जाते हैं।
हाई कोर्ट का आदेश और FIR
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने विजय शाह की टिप्पणी को 'गटर भाषा' बताते हुए स्वतः संज्ञान लिया और राज्य के पुलिस महानिदेशक को तुरंत FIR दर्ज करने का आदेश दिया। कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि आदेश का पालन नहीं हुआ तो अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद, बुधवार रात 11:10 बजे मनपुर पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज की गई।
विवादित बयान और माफी
विजय शाह ने एक जनसभा में कहा था कि "जिन लोगों ने हमारी बेटियों का सिंदूर उजाड़ा था, मोदी जी ने उन्हीं की बहन भेजकर उनकी ऐसी की तैसी कर दी।" इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिससे व्यापक निंदा हुई। विपक्षी कांग्रेस ने शाह को मंत्रिमंडल से हटाने की मांग की। शाह ने बाद में कहा कि यदि किसी को उनकी बात से ठेस पहुंची है, तो वे 'दस बार माफी मांगने को तैयार' हैं।
कर्नल सोफिया कुरैशी का परिचय
कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की वरिष्ठ अधिकारी हैं, जो ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मीडिया ब्रीफिंग में शामिल थीं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में भारत का नेतृत्व किया है और साइबर युद्ध में विशेषज्ञता रखती हैं। उनके नेतृत्व और योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिले हैं, जिनमें गांधी शांति पुरस्कार भी शामिल है।
यह मामला दर्शाता है कि सार्वजनिक पदों पर बैठे व्यक्तियों को अपने शब्दों के चयन में अत्यंत सावधानी बरतनी चाहिए। न्यायपालिका ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसे गैर-जिम्मेदाराना बयानों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, खासकर जब वे देश की सुरक्षा और एकता को प्रभावित करते हों।
