क्या कभी सोचा था कि गुजरात के भुज से समुंदर तक, जहां पहले सिर्फ पवन और रेत की बातें होती थीं, वहां अब करोड़ों का निवेश और नवाचार की लहर दौड़ रही है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने राज्य गुजरात से भारत के समुंदर किनारे को नई पहचान देने की शुरुआत की। 34,200 करोड़ रुपये से ज्यादा के प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन और शिलान्यास हुआ; जिनमें बंदरगाहों से लेकर गांवों की सोलर स्ट्रीट, अस्पताल से लेकर स्मारकों तक, हर छोटी-बड़ी चीज़ शामिल है। मुंबई इंटरनेशनल क्रूज टर्मिनल, ऊर्जा प्लांट्स, नई हाईवे और हेरिटेज कॉम्प्लेक्स जैसी बड़ी चुनौतियाँ अब मौके बन चुकी हैं। जनता के बीच खुशी की लहर, कारोबारियों की उम्मीदे, किसानों में नया जोश—गुजरात बदलने के इस साक्षी पल को शायद ही कोई भूला पाएगा।
समुंदर का किनारा, अब सपनों का किनारा
भारत का समुद्री सेक्टर कभी कागजों और पुरानी किताबों तक सीमित था—अब वही किनारा विकास की सबसे बड़ी राह बन चुकी है। मोदी जी ने भदभदाती भीड़ के सामने कहा, “आज भारत अपने बंदरगाहों, क्रूज, कार्गो और शिपबिल्डिंग को नए मुकाम पर ले जा रहा है।” सिर्फ गुजरात ही नहीं, देश के 7,870 करोड़ रुपये के समुद्री प्रोजेक्ट्स में मुंबई में देश का सबसे बड़ा क्रूज टर्मिनल, कोलकाता और पारादीप में नए कंटेनर टर्मिनल, कांडला में बायो-मिथेनॉल प्लांट और चेन्नई, कार निकोबार जैसे सुदूर इलाकों में समुद्री सुरक्षा के लिए सी वॉल—ये सब इस मेगा प्लान का हिस्सा हैं। सरकार का दावा है कि इतने बड़े प्रोजेक्ट्स से हर गांव, छोटी-बड़ी इंडस्ट्री और किसानों की आजीविका को अच्छा फायदा मिलेगा। अब कार्गो जल्दी चलेगा, क्रूज टूरिज्म बढ़ेगा, और रोजगार के नए दरवाज़े खुलेंगे। गांव के नौजवान और शहर के व्यापारी—दोनों के सपनों में अब 'समुंदर से समृद्धि' वाली आस जगी है।
इतिहास, ऊर्जा और उजाले की नई कहानी
प्रधानमंत्री ने गुजरात की धरती से सौर ऊर्जा का भी संदेश दिया। धोरडो गांव—जो कभी सिंधु नदी के किनारे, रेतीले मैदानों और धूप में 'चुपचाप' था—अब पूरी तरह सोलर से रोशन है। पीएम-कुसुम योजना के तहत 475 मेगावाट की सौर ऊर्जा किसान भाईयों के लिए चालू हो गई है। अस्पताल और सड़कें भी इसी ऊर्जा से संचालित हो रही हैं। भुज, भावनगर और जामनगर में अस्पतालों का विस्तार, एलएनजी टर्मिनल, 600 मेगावाट का ग्रीन शू इनिशिएटिव और गुजरात आयल रिफाइनरी का नया प्रोजेक्ट—इन सबका इरादा एक ही है: कमाई, नौकरी और आधुनिकता से हर किसान, मरीज और छोटा उद्यमी सीधे जुड़े। महज दो साल पहले जहां गांव के लोग बिजली के लिए परेशान रहते थे, अब घर-घर बिजली, खेत-खेत पानी और स्कूल-हॉस्पिटल में नई सुविधाएं दिखाई दे रही हैं।
जिन गलियों में लहराता इतिहास, वहीं बदलते भविष्य की इबारत
मोदी जी ने लोटल के नेशनल मेरीटाइम हेरिटेज कॉम्प्लेक्स का जायजा भी लिया, जो 4500 करोड़ रुपये की लागत से 375 एकड़ में बन रहा है। यहां दुनियाभर का सबसे ऊंचा लाइटहाउस म्यूजियम (77 मीटर), 14 गैलरी, फ्लोटिंग रेस्टोरेंट, टेंट सिटी और बच्चों के लिए एडवेंचर जोन बनाया जा रहा है। यह सिर्फ इमारतों का संग्रह नहीं, बल्कि सिंधु घाटी के व्यापारिक गौरव, समुद्र यात्राओं के रोमांच और भारत के व्यापार के सुनहरे पन्नों को 'जीवित' करता है। मोदी जी ने हवाई सर्वे से धोलेरा इंडस्ट्रियल सिटी का निरिक्षण भी किया, जो स्मार्ट सिटी और ग्रीन इंडस्ट्री का केंद्र बनने जा रही है। वहां हर बच्चा, हर व्यापारी, हर टूरिस्ट—सबको भविष्य और इतिहास दोनों का अनुभव मिलेगा। पीएमओ और प्रशासन ने सुरक्षा से लेकर हर लाइन का रिव्यू किया है, और अब यह परियोजना 2025 के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य है।
इतिहास के समुंदर किनारे आज उम्मीदों की सबसे ऊंची लहर उठी है। गुजरात का यह बदलाव सिर्फ पत्थर, सड़क या बंदरगाह नहीं—बल्कि सपनों, रोज़गार और युवाओं के हुनर को नई दिशा देने वाला है। बच्चों से लेकर किसानों तक, डॉक्टर से लेकर ड्राइवर तक, अब हर किसी को महसूस हो रहा है कि बदलाव असली है—हाथ में, आंखों के सामने। देशभर में जिन गांवों में लोग पहले migration की सोचते थे, वहां अब घरपर नौकरी, पढ़ाई और बिजली की बात हो रही है। यह बदलाव विश्वास और तकनीकी के मेल से आया है। सरकार, कंपनियां और जनता अगर इसी उत्साह से साथ काम करती रहीं, तो अगले कुछ सालों में गुजरात और देश—दोनों की तस्वीर पूरी तरह बदल सकती है।

